श्रावणी मेला 2022: बेटा -बहू कांवर में मां-बाप को बिठाकर तीर्थयात्रा पर निकले

श्रावणी मेले के शुरू होते ही सारे शिव भक्त भोले के रंग में रंग चुके हैं। हर तरफ बस बोल बम के नारे सुनाई दे रहे हैं चारों तरफ कांवरिये ही कांवरिये दिखाई दे रहे हैं। हर कोई अपने अपने तरीके से भोले बाबा को खुश करने में लगे हुए हैं। देवघर के श्रावणी मेले में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। दूरदराज के लोग यहां पर आ रहे हैं और भोले बाबा को जल अर्पित कर रहे हैं। इस साल शिव भक्तों को 2 साल बाद शिव के कांवर यात्रा में जाने का मौका मिल रहा है जिस कारण से भक्तों की भीड़ में और ज्यादा इजाफा देखने को मिल रहा है।

वैसे तो सारे कांवर देखने लायक होती है, लेकिन एक ऐसा कांवर है जिसपर जाकर सबकी निगाहें रूक रही है, और वो है बिहार के जहानाबाद के रहने वाले एक बेटे के कावंर, जो अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर बाबानगरी के लिए निकल पड़े हैं। उनकी पत्नी भी इसमें बराबरी से उनका साथ दे रही हैं।

चंदन की कांवर

जहानाबाद के रहने वाले है चंदन प्रसाद

इस साल कावरिया पथ पर सबकी निगाहें जहानाबाद के चंदन प्रसाद और रीना देवी के कांवर थम जा रही है। चंदन अपने कंधे पर एक लंबी बहंगी लेकर चल रहे हैं और उनके साथ इस बहंगी को दूसरे छोर से उनकी पत्नी रानी देवी ने थामा है। इस बहंगी के दोनों छोर पर दो डाले टांगे गये हैं, जिसमें सामने वाले डाले पर चंदन के पिता तो पीछे वाले डाले पर उनकी मां बैठी रहती हैं। चंदन और उनकी पत्नी दोनों को लेकर बाबाधाम जा रहे हैं और पूरी यात्रा को पैदल ही तय करने वाले हैं।

कांवर पर बैठाकर चलेंगे 100 किलोमीटर से अधिक

कलयुग में अपने माता-पिता को बहंगी पर बैठाकर सौ किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा करने वाले चंदन कुमार ने बताया कि वो अक्सर सत्यनारायण भगवान की पूजा कराते रहते हैं। अचानक उनके अंदर एक विचार आया कि वो अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर बाबाधाम देवघर जाएंगे। इसकी जानकारी उन्होंने गांव के कुछ लोगों को भी दी। ग्रामीणों ने उनसे फिर सोचने को कहा लेकिन चंदन अड़े रहे। माता-पिता को जानकारी मिली तो वो चौंके और मना किया। लेकिन ग्रामीणों ने भी चंदन की बात मान लेने को कहा तो राजी हुए और ये यात्रा शुरू हुई।

लगते है कलयुग के श्रवण कुमार की जय

जैसे ही चंदन कुमार के कांवर लोगों के बीच में पहुंचती है तो लोग कलयुग के श्रवण कुमार की जय के नारे लगाने लग जाते हैं। वाकई में चंदन जो कर रहे हैं वह हिम्मत की बात है माता-पिता की सेवा करना तो सब कुछ आता है लेकिन इस प्रकार से सेवा करना सबके बस की बात नहीं है।

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