शादी के कार्ड तक पहुंची 1932 खतियान की मांग।

वाहनों से लेकर शादी कार्ड तक पहुंची ‘झारखंडी की पहचान 1932 की खतियान’ की मांग

अब लोग 1932 के खतियान की मांग को लेकर सड़क से लेकर शादियों के कार्ड के ऊपर संदेश तक छपवा रहे हैं। वर्तमान में झारखंड का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा विवाह समारोह, शादी के कार्ड से लेकर वाहनों तक जा पहुंचा है। झारखंडी की पहचान 1932 की खतियान जैसे नारे हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, चतरा समेत अन्य जिलों के शादी के कार्ड और वाहनों के बोर्ड पर छपने लगे हैं।

1932 खतियान की मांग इतनी तेज होचुकी है इसका अंदाजा शादी के कार्ड में छपे आंदोलन की अपील से लगाया जा सकता है। 1932 का खतियान लागू करने के आंदोलन से जुड़े लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी के आमंत्रण पत्र में 1932 के खतियान का उल्लेख कर रहे हैं। शादी के आमंत्रण पत्र में “1932 की खतियान झारखंड की पहचान” और “बाहरी भाषा नाय चलतो” जैसे नारे देखने को मिल रहे है।

आए दिनों 1932 खतियान से जुड़े नारे लिखे शादी के आमंत्रण पत्रों को सोशल मीडिया में खूब पसंद किया जा रहा है, और व्हाट्सएप फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म में खूब शेयर किया जा रहा है और वायरल किया जा रहा है। इसी से जुड़ी एक शादी का कार्ड चतरा जिले के इटखोरी थाना के साल्वे गांव के नारायण राणा के कार्ड में देखने को मिला।

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