• पीएचडी छात्र ने जिला प्रशासन से नशा के कारोबार पर रोक लगाने का किया आग्रह
रामगढ़ | संवाददाता
पहले नशे के ऐसे खौफनाक मंजर और कारोबार को कभी हमलोग फिल्मों के माध्यम से देखते थे लेकिन अभी “रील लाइफ” में देखते थे आज किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता जा रहा है। नशा की गिरफ्त में आने वाला व्यक्ति अंदर से नकारात्मक होने लगता और दिमागी हालात ठीक नहीं रहता है और व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास कम होने लगती है साथ ही जीवन में निराशा का भाव आने लगता है। दिनचर्या में व्यक्ति को चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है और किसी के साथ भी कुशलता का व्यवहार बरकरार नहीं रख पाता है। जिस कारण व्यक्ति के सफलता और रोजमर्रा के कामों में यह बाधक साबित होता रहता है । राधा गोविन्द विश्वविद्यालय रामगढ़ के पीएचडी छात्र गौतम महतो ने कहा कि नशा करने वाला किसी भी उम्र का हो वो अपने नशे का सामग्री और इसके उपयोग का तरीका ढूंढ ही लेता है। नशे के कारोबारी भी प्रतिबंधित सामग्री को बेचने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। उन्हें पैसे कमाने की ऐसी लालच और भूख आन पड़ती है की किसी के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर खुद अपनी जान जोखिम में डालकर ऐसे प्रतिबंधित नशीली पदार्थ के खरीद बिक्री के लिए गैर सामाजिक कार्य करते हैं । रामगढ़ शहर और आसपास गोला, दुलमी, चितरपुर , मांडू,पतरातू भुरकुंडा के क्षेत्र में फैलता नशा का साम्राज्य रामगढ़ के युवा पीढ़ी को टारगेट कर उनके नस- नस में नशा समां कर उन्हें बर्बाद करने पर आमदा है। रामगढ़ के युवा पीढ़ी नशे के गिरफ्त में दिख रहा है। युवा पीढ़ी एवं नाबालिक नशे की गिरफ्त में जकड़ते जा रहा है। वही विद्यार्थी अपनी पढ़ाई की जगह नशे में खुद को झोंककर बर्बाद कर रहें हैं। माता- पिता और अभिभावक के अरमान को पूरा करने के बजाय खुद के शरीर के अंदर नशा के सेवन के माध्यम से तरह-तरह की बीमारियों को आमंत्रण देते हैं। रामगढ़ जैसे छोटे शहरो में भी अब ब्राउन शुगर का पुड़िया पैडलर के माध्यम से नशेड़ियों तक पहुंचाया जा रहा है। कई बार इस बात की पुष्टि पुलिस द्वारा पकड़े गए ब्राउन शुगर के खेप से हुआ है। रामगढ़ के कई युवाओं की जिंदगी नशे की गिरफ्त में आकर बर्बाद हो चुकी है तो कई बर्बादी के कगार पर है। जीने के उम्र में ही कईयों की जिंदगी की इहलिला भी समाप्त हो गई।
