कैप्सूल गिल: अक्षय कुमार की अगली फिल्म का झारखंड के धनबाद से कनेक्शन, बचाई थी खदान में फंसे 64 लोगों की जान

Capsule Gill : अक्षय कुमार की अगली फिल्‍म क‍ैप्‍सूल गिल की शूटिंग शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते 6 जुलाई को लंदन में फिल्‍म की शूटिंग शुरू हुई है। फिल्‍म में जसवंत गिल का किरदार निभा रहे अक्षय कुमार का पहला लुक भी सामने आ चुका है। हालांकि इसी के साथ यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि जसवंत गिल या कैप्‍सूल गिल कौन थे और उन पर बायोपिक क्‍यों बन रही है!

कौन थे कैप्सूल गिल?

जसवंत सिंह गिल माइनिंग इंजीनियर थे। 2019 में पंजाब के अमृतसर में उनका निधन हुआ। हालांकि इससे पहले अपने जीवनकाल में उन्‍होंने ऐसा इतिहास रच दिया, जाे लोगों को बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगा। कैप्‍सूल गिल के नाम से मशहूर रहे जसवंत सिंह गिल ने धनबाद स्थित आइआइटी आइएसएम में खनन की बारी‍कियां सीखीं। एशिया के सबसे बड़े खनन इंस्‍टीट्यूट का नाम तब इंडियन स्‍कूल ऑफ माइंस (आइएसएम) हुआ करता था। तब मूल रूप से चार कोर्स में संस्‍थान से डिग्री मिलती थी और यह रांची यूनिवर्सिटी के अधीन था। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद जसवंत सिंह गिल ने धनबाद से सटे बंगाल के रानीगंज के महावीर कोलियरी में 1989 में माइंस में फंसे 64 मजदूरों की जान बचाई थी। उस समय जसवंत चीफ माइनिंग इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उन्‍हीं की जर्नी अक्षय की फिल्‍म कैप्‍सूल गिल में नलर आएगी। अपने कार्यकाल में जसवंत सिंह गिल ने इंजीनियरिंग की बदौलत लोहे के एक कैप्सूल का निर्माण किया था, जिस वजह से वह कैप्‍सूल गिल के नाम से मशहूर हुए और इसी को फिल्‍म का टाइटल भी चुना गया। बीसीसीएल धनबाद के रेस्क्यू स्टेशन से वह सेवानिवृत्त हुए थे। रिटायरमेंट के बाद वह अपने परिवार के साथ पंजाब के अमृतसर शिफ्ट कर गए। यहीं 2019 में उनका निधन हो गया।

अपने परिवार के साथ

आइआइटी आइएसएम के 1965 बैच के छात्र थे जसवंत

जसवंत सिंह गिल आइआइटी आइएसएम धनबाद के 1965 बैच के छात्र थे। भारत सरकार ने 1991 में उन्‍हें सर्वोत्तम जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया था। 1998 में वह अपनी नौकरी पूरी करने के बाद बीसीसीएल धनबाद से ईडी सेफ्टी एंड रेस्क्यू पद से रिटायर हुए। पिछले वर्ष ही पंजाब के अमृतसर के एक चौक का नामकरण जसवंत गिल के नाम पर हुआ है। वहीं आइआइटी आइएसएम ने भी जसवंत सिंह गिल के नाम से इंडस्ट्रियल सेफ्टी अवार्ड देने की घोषणा की है।

बचाई थी श्रमिकों की जान

रानीगंज में एक कोयला खदान में बाढ़ आने से कई 71 श्रमिक पानी से भरे खदान में फंस गए थे. ऐसे में जसवंत और उनकी टीम ने बचाव अभियान चलाया और स्टील कैप्सूल के जरिए फंसे हुए श्रमिकों को एक-एक करके बाहर निकालना शुरू किया. बता दें कि इस ऑपरेशन को आज तक का सबसे बड़े कोयला खदान बचाव अभियान में से एक माना जाता है. जसवंत सिंह गिल को उनके प्रयास के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन की तरफ से सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया था. साल 2019 में अमृतसर में जसवंत सिंह गिल का निधन हो गया. जिस नाम कैप्सूल गिल नाम से इंजीनियर गिल जाने गए उसी नाम को उनकी बायोपिक का टाइटल चुना गया है.

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