झारखंड को हमारे पूर्वजों ने खून पसीना बहाकर लिया है। हम उनके कुर्बानी व अधिकार को फिर से गुलाम नहीं होने देंगे। हमारी माटी व संस्कृति पर सबसे पहले मेरा अधिकार है ना कि पांच डिसमील जमीन के मालिक बने परदेशी का।
उक्त बातें सोमवार को भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित एक सभा में जयराम महतो ने कही। बाघमारा पोलो ग्राउंड में जन सभा को संबोधित करते हुए जयराम महतो ने कहा कि झारखंड के कोयले से रोशनी पूरे देश में जगमगा रही है, परंतु यहां रहने वाले लोग अंधेरे में रहते हैं। कोयला हमारा, पानी हमारा और बिजली दूसरे को ये अब नहीं चलेगा। झारखंडी कब तक शोषित होते रहेंगे। बिनोद बाबू ने कहा था कि पढ़ो ओर लड़ो। पढ़ाई तो हम कर लिए लेकिन हमारे हिस्से की नौकरी का अधिकार दूसरे प्रदेश के लोग ले रहे हैं। अपने अधिकार के लिये आंदोलन की जरूरत है तभी बिनोद बाबू के सपने को साकार कर सकते हैं। कोयला की खदानें झारखंड के धनबाद में और मुख्यालय कोलकाता में, यह कहां का न्याय है। कठिन परिश्रम से झारखंड राज्य मिला है। अपने अधिकार का हनन नहीं होने देंगे। खेत-खलियान छोड़ कर हमारे पूर्वजों ने अलग राज्य हासिल किया है। परदेशी हमें गुलाम बनाने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं। परदेशी झारखंडी बन बैठे हैं और हम माटी के लोग परदेशी बन गए हैं। यह लड़ाई अब भाषा की लड़ाई नहीं रह गई है। अब ये लड़ाई अपने अधिकार के लिए लड़ी जा रही है। बंगाल के लोग बंगाल के लिए, बिहार के लोग बिहारी के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, तो हम झारखंडी अपने अधिकार के लिए क्यों नहीं लड़े। अब झारखंड 21 साल का युवा हो गया है। 90 प्रतिशत झारखंड के विधायक ऐसे हैं, जिनके बच्चे के भविष्य बनाने के लिये पहले प्लानिंग हो जाती है। बेटा हुआ तो डीपीएस में पढ़ेगा और बेटी होगी तो कार्मेल में पढ़ेगी। विधायक हो या मंत्री डरने की जरुरत नहीं है। मरना तो सभी को है, डरने का समय नहीं है, लड़ने की जरूरत है। जयराम महतो ने अपना सम्बोधन खोरठा भाषा में दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नारायण महतो ने की, जबकि संचालन महादेव महतो ने किया। सभा को सम्बोधित करने वालों में शंकर महतो, मुखिया गोपाल महतो, मुक्तेश्वर महतो, राम प्रसाद महतो, इंदर रविदास, बिक्रम महतो, उमेश नापित, बिकाश महतो, अजय महतो, गिरधारी ठाकुर, बिजय महतो, लखविन्दर महतो, बंशी महतो, जाटल महतो, किशोर महतो आदि शामिल थे।