झारखंड राज्य के रांची जिला से महज 40 किलोमीटर की दूरी रांची – टाटा मार्ग के बुंडू के एदेलहातु गांव के पहाड़ पर सूर्य मंदिर स्थित है । सूर्य मंदिर का निर्माण एक विशाल रथ के रूप में किया गया है,जिसमे अठारह पहिये और सात घोड़े हैं। मंदिर के अंदर में शिव, पार्वती और गणेश सहित कई मूर्तियां विराजमान हैं। यह मंदिर रांची जिला का काफी प्रसिद्ध मंदिर है, जो देखने में काफी मनमोहक दृश्य प्रतीत होता है।
मंदिर का इतिहास
निर्माण– मंदिर का आधारभूत संरचना संगमरमर के पत्थर से निर्मित है । सूर्य मंदिर का निर्माण रांची के एक रांची एक्सप्रेस समूह के प्रबंध निदेशक श्री सीता राम मारू की अध्यक्षता में एक धर्मार्थ ट्रस्ट संस्कृति विहार द्वारा निर्माण किया गया था। 24 अक्टूबर 1991 को स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा आधारशिला रखी गई थी और 10 जुलाई 1994 को स्वामी श्री वामदेव जी महाराज द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत की गई थी।
25 जनवरी को लगता है मेला, छठ पर्व के दिन उमड़ती है भीड़
मेला – सूर्य मंदिर में मुख्य मेला 25 जनवरी को प्रत्येक वर्ष मेला कमिटी की तरफ से लगाया जाता है, मेला में काफी दूर – दराज से लाखों लोग देखने के लिए पहुंचते है। मेला के दिन मेला में काफी भीड़ होती है। मेले में तरह तरह के बच्चे के झूले , खिलौने और खाने पीने के कोई साधन उपलब्ध होते है।
छठ पर्व – सूर्य मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है, जहां लोग स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा- अर्चना करते है। छठ पूजा के दिन काफी भीड़ होती है। उस दिन सभी छठव्रतियां सुबह से ही तालाब में पहुंचती है, और सूर्य भगवान की पूजा- अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की मन्नते मांगते है।
कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग – नजदीकी एयरपोर्ट रांची है जहां से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते है।
रेल मार्ग – मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रांची है। रांची स्टेशन से आसानी से टैक्सी या बस लिया जा सकता है।
सड़क मार्ग – यह मंदिर रांची जमशेदपुर रोड में स्थित है तो आप रांची या जमशेदपुर से आसानी से बस या टैक्सी द्वारा पहुंच सकते है।
रुकने का साधन एवम सावधानियां
रुकने का स्थान– मंदिर के आस पास कोई भी रुकने का स्थान नहीं है। रुकने के लिए सबसे अच्छी जगह रांची ही है। रांची में बहुत सस्ते रेट में होटल और लॉज मिल जाते है।
सावधानियां – मंदिर के आस पास ग्रामीण इलाका है साथ ही साथ नजदीकी पुलिस थाना भी दूर है, जिस कारण से मंदिर में शाम के बाद जाना सही नही होता है। मंदिर में घूमने का सबसे सही समय सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक है। साथ ही खाने पीने का सामान साथ लेकर जाना सही होता है।