झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने के सरकार के कदम का देशभर में जैन समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में दर्जन भर शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और कई जैन मुनियों ने सरकार से अपने फैसले को वापस लेने की मांग की है. पारसनाथ हिल, जिसे सम्मेद शिखर के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में जैनियों के बीच सबसे बड़ा तीर्थस्थल है।
पूजा स्थल की पवित्रता हो जाएगी भंग
जैनियों के 24 में से 20 तीथर्ंकरों की ‘निर्वाण’ (मोक्ष) भूमि होने के कारण यह उनके लिए पूजनीय क्षेत्र है। जैन समाज का कहना है कि अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया तो इस पूजा स्थल की पवित्रता भंग हो जाएगी। वहां मांसाहार और शराब सेवन जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे ‘अहिंसक’ जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
जैन समाज गुस्से में है. श्वेतांबर हों या दिगंबर, सभी जैन लोग इस बात से नाराज हैं कि झारखंड सरकार ने उनके सबसे पवित्र तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है. झारखंड सरकार ने फैसले में ये भी कहा है कि सम्मेद शिखरजी स्थल पवित्र तीर्थ स्थान है. दरअसल, केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें सम्मेद शिखरजी को इको-टूरिज्म प्लेस के तौर पर चिन्हित किया गया था. इसके बाद झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने भी नोटिफिकेशन जारी करके इस पर मुहर लगा दी. लेकिन अब पूरा जैन समाज इस बात का विरोध कर रहा है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल क्यों घोषित किया गया. जैन समाज की मांग है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल की जगह तीर्थ स्थल घोषित किया जाए.
देश के कोने-कोने में विरोध प्रदर्शन
जैन समाज के लोगों ने देश के हर राज्य में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है. दिल्ली के इंडिया गेट पर हजारों की भीड़ ने जोरदार प्रदर्शन किया, तो मुंबई से लेकर अहमदाबाद हो या भोपाल. हर तरफ जैन समाज के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया है. अहमदाबाद की सड़क पर जैन समाज के एक लाख लोगों ने अपना शक्ति-प्रदर्शन किया. एक लाख लोगों ने दस किलोमीटर तक मार्च निकाला. हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि जैन समाज कम है कमजोर नहीं है. वहीं, दिल्ली में हजारों की भीड़ इंडिया गेट पर पहुंची. उनके हाथों में झंडे और पोस्टर बैनर थे. महारैली को रोकने के लिए पुलिस को बैरिकेड लगाने पड़े. तो मुंबई में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली. इसके अलावा जैन समाज के लोगों ने आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की है. बता दें कि शत्रुंजय पर्वत गुजरात के पालीताणा में है. शत्रुंजय पर्वत को जैन धर्म में सम्मेद शिखरजी के बाद दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है. जैन समुदाय के लोगों ने देश के कई हिस्सों में निकाली रैलियां के लोगों ने देश के कई हिस्सों में रैलियां निकालकर उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है, जिसमें सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया है.
झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है पारसनाथ
गौरतलब है कि पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो वन क्षेत्र से घिरी हुई है. पहाड़ी की तलहटी में दर्जनों जैन मंदिर हैं. 2 अगस्त, 2019 को झारखंड सरकार द्वारा की गई सिफारिश के बाद केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्यजीव अभयारण्य और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया है. जैन समाज का कहना है कि क्षेत्र में ईको-टूरिज्म और अन्य गैर-धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देना गलत है.