झारखंड में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में हुए चुनाव की मतगणना आज दूसरे दिन भी जारी है। कई जगहों के चुनाव परिणाम आ चुके है और कई जगहों पर उम्मीदवारों की सांसे अटकी हुई है। इसी कर्म में कई जगहों पर चुनाव परिणाम बहुत ही चौकाने वाले आए है। आए जानते है कि किन जगहों के चुनाव नतीजों ने सभी को चौकाया है।
रांची में रिक्सा चालक बने मुखिया
रांची जिले की राहे ग्राम पंचायत के लोगों ने जिस कृष्णा पातर मुंडा को मुखिया यानी ग्राम प्रधान पद के लिए चुना है, वह रांची शहर में रिक्शा चलाते हैं। वह पिछले दस साल से हर दिन बस से रांची शहर आते हैं और यहां किराये पर लिया गया पैडल रिक्शा चलाते हैं। इससे वह पांच सदस्यों वाले अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी बेहद मुश्किल से जुटा पाते हैं। कृष्णा पातर ने अपनी कहानी साझा की। उन्होंने कहा कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं था। गांव के लोगों ने ही चंदा कर उन्हें पैसा दिया और चुनाव लड़वाया। वह इसके पहले दो बार चुनाव में खड़े हुए थे, लेकिन हार गये थे। हार के बावजूद वह पंचायत के लोगों की समस्याओं को लेकर मुखर रहे। इस बार गांव के लोगों ने ही उन्हें चुनाव लड़ने को कहा। चुनाव प्रचार से लेकर पर्चा भरने तक का पैसा लोगों ने ही जुटाया। उन्हें एक मोबाइल फोन भी खरीदकर दिया। कृष्णा पातर का कहना है कि पंचायत के लोगों ने उन्हें इतना प्यार दिया है कि वह सबके कर्जदार बन गये हैं। उनकी कोशिश होगी कि जनप्रतिनिधि के तौर पर वह सबके काम आयें। पंचायत के हर गांव में विकास के काम हों, इसके लिए वह किसी भी अधिकारी के पास जाने से नहीं हिचकेंगे। उनके पास साइकिल तक नहीं है. कृष्ण पातर मुंडा विगत 10 वर्षों से रोजाना बस से रांची जाकर रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. ग्रामीण कृष्णा को पूर्व से ही मुखिया कह कर बुलाते थे. परिवार में पत्नी व चार बेटियां हैं.
चतरा जिले में दिहाड़ी मजदूरी करने वाली की पत्नी बनी मुखिया
चतरा जिले की मोकतमा पंचायत से मुखिया के पद पर जीत दर्ज करनेवाली पार्वती देवी के पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। जरूरत पड़ने पर पार्वती देवी भी मजदूरी करती हैं। वह कहती हैं कि पंचायत के लोगों ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है। लोगों ने उनपर जो भरोसा जताया है, वह उसे टूटने नहीं देंगी।
पूर्वी सिंहभूम में विलुप्त होती आदिम जनजाति से चुने गए पंचायत समिति सदस्य
पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड की बाघुड़िया पंचायत से सबर नामक आदिम जनजाति की सुशीला सबर ने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीता है। सबर झारखंड की विलुप्त होती आदिम जनजाति है। पूरे झारखंड में इनकी कुल आबादी महज कुछ हजार है। वह इस जनजाति की पहली महिला हैं, जिन्होंने कोई चुनाव जीता है।
चौपारण में कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवार की अर्चना हेमरोम बनी मुखिया
चौपारण प्रखंड की चोरदाहा पंचायत में मुखिया का चुनाव जीतने वाली अर्चना हेमरोम कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आती हैं। उन्होंने हाल में जेपीएससी सिविल सर्विस की मुख्य परीक्षा पास की है। साक्षात्कार भी हो चुका है और इस परीक्षा में अंतिम तौर पर चयन होने पर वह अफसर बन सकती हैं। उनका कहना है कि पंचायत के लोगों ने उन्हें जिन उम्मीदों के साथ अपना प्रतिनिधि चुना है, उसपर खरा उतरने की कोशिश करेंगी।
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