झारखंड में मौजूद है ‘भीम का चूल्हा’: पांडवो के अज्ञातवास के समय भीम इस चूल्हे से खाना बनाते थे।

भीम चूल्हा

झारखंड का जंगलों-पहाड़ों से घिरा पलामू क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक-पौराणिक स्थलों से परिपूर्ण है। इसी क्षेत्र में हुसैनाबाद अनुमंडल का मोहम्मदगंज भी शामिल है। यहीं पर है पौराणिक भीम चूल्हा स्थित है । किवदंतियों के अनुसार यह वही 5 हजार साल पुराना चूल्हा है, जिस पर पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम भोजन बनाया करते थे। कोयल नदी के तट पर शिलाखंडों से बना यह चूल्हा पांडवों के इस इलाके में ठहराव का मूक गवाह है।

भीम चूल्हा

प्रसिद्ध भीम चूल्हा मोहम्मद गंज बराज के पास अवस्थित है| पर्यटन स्थल के रूप में सैलानी एक साथ दोनों जगहों का भ्रमण कर आनंदित होते हैं। भीम चूल्हा के बगल में पहाड़ी के पास पत्थर की तराशी हुई हाथी भी दर्शनीय है जिसकी लोग अपने श्रद्धा के अनुसार पूजा पाठ भी करते है। बरवाडी से डेहरी भारतीय रेल लाइन भी भीम चूल्हा के नीचे से होकर गुजरती है।

मकरसंक्रांति पर 75 वर्ष से लग रहा है मेला

मोहम्मदगंज के भीम चूल्हा में मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले राजस्व मेला में पत्थर का बना हाथी आकर्षण के साथ-साथ लोगों की श्रद्धा का भी केंद्र बन जाता है. मेला का डाक प्रत्येक वर्ष होता है. इस जगह पर भीम बराज बनाने के बाद मेला का स्थल सिमट गया है. उसके बाद भी कोयल व सोन नदी के आसपास के लोग इस मेले में शामिल होते हैं.

नदी में स्नान कर प्राचीन शिव मंदिर में जलाभिषेक करते हैं और मेले का आनंद लेते हैं. पहाड़ की शृंखला में वक्त बिताते हैं और उसके बाद ही अपने घरों को लौटते हैं. यह मेला करीब 75 वर्ष से लग रहा है. इस स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग अब तक अनसुनी है. मेले में खाने व घरेलू उपयोग के सामान की बिक्री खूब होती है.

मकर संक्रति

कैसे पहुंचे

भीम चूल्हा जाने के लिए भाया रोड और भाया रेल भी जा सकते हैं। मोहम्मद गंज रेलवे स्टेशन पास में ही है ।

हवाई मार्ग द्वारा
नजदीकी हवाई अड्डा रांची हवाई अड्डा है जो यहाँ से २५८ की.मी. की दुरी पर है |

ट्रेन द्वारा
नजदीकी रेलवे स्टेशन मोहम्मदगंज रेलवे स्टेशन है जो 3 की.मी. की दुरी पर स्थित है |

सड़क के द्वारा
नजदीकी बस स्टॉप हुस्सैनाबाद है जो १८ की.मी. की दुरी पर स्थित है |

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