नायकडीह (तेतुलमारी)। दुनिया में हर कोई किसी ना किसी तरह से अपनी जीविका चलाता हैं।लेकिन समाज को बदलने वाले,समाज को एक आधार देने वाले,समाज को राह दिखाने वाले ऐसे कुछ ही लोग होते हैं और उन्हीं में से एक ऐसे युवक की कहानी आज मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं। जिन्होंने बचपन में पढ़ाई के दौरान अपने गांव में एक स्कूल का सपना देखा और जिसे उसने स्वयं शिक्षक बनकर पूरा किया। हम बात कर रहे हैं नगरी कला उत्तर पंचायत तेतुलमारी थाना अंतर्गत नायकडीह बस्ती के शिक्षक जुड़ेन्द्र प्रसाद महतो उर्फ जेपी महतो की।जेपी महतो वर्तमान में नया प्राथमिक विद्यालय नायकडीह के प्रधान शिक्षक हैं।जेपी महतो ने एमए,सीआईजी (सर्टिफिकेट इन गाइडेंस),डीपीई (डिप्लोमा इन प्राइमरी एजुकेशन) की शिक्षा हासिल की हैं।साथ ही टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी ट्रेनिंग) भी क्वालीफाई किए हैं।
जेपी महतो का प्रारंभिक जीवन एक सामान्य ग्रामीण परिवेश में बीता।चूंकि पहले ग्रामीण परिवेश ही रहा हैं इस कारण इनका बचपन ग्रामीण रहन-सहन में ही व्यतीत हुआ हैं। इनकी माता श्रीमती जोसिया देवी पिता स्वर्गीय भोला महतो एवं चार भाई तीन बहन हैं।इनके पिता बीसीसीएल कर्मचारी थे। बचपन में इनका मन पढ़ने लिखने में नहीं लगता था।घर के गाय भैंस चराया करते थे और घर के अन्य काम में व्यस्त रहते थे। क्योंकि उस समय शिक्षा को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी थी।लेकिन जेपी महतो अपने मित्रों को स्कूल जाता देख कर प्रेरित हुए। इसको लेकर भी एक कहानी हैं घर के बाहर जेपी महतो बैठे हुए थे। इनके मित्र स्कूल से घर वापस आ रहे थे।तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति ने जेपी महतो को दीवार पर लिखे वाक्य पढ़ने को कहा।जेपी महतो धीरे-धीरे किसी तरह पढ़े। लेकिन उनके मित्रों ने दीवार पर लिखे वाक्य को तेजी से बढ़ते हुए चले गए। यह घटना ने शिक्षा को लेकर जेपी महतो को बहुत प्रभावित किया। इन्होंने मन बनाया कि पढ़ाई करना हैं। घर पर भी इन्होंने इस बात को कहा। लेकिन सबने मजाक उड़ाया। क्योंकि पूर्व में देखा जाता था कि गांव में अधिकतर बच्चों को घर के कामकाज में ही ज्यादा ध्यान देने को कहा जाता था।इस वजह से उस समय के परिवेश के कारण जेपी महतो को भी विरोध का सामना करना पड़ा। घर में पढ़ाई को लेकर मना किए।लेकिन जेपी महतो मन में ठान चुके थे कि पढ़ाई करना हैं और आगे बढ़ना हैं।इस वजह से इन्होंने एक योजना बनाई कि सुबह घर के जानवरों को लेकर जंगलों में छोड़ देना और फिर वापस आकर स्कूल चले जाना। जब स्कूल से वापस आते तब तक या तो जानवर खुद-ब-खुद घर आ जाया करते थे या फिर पुनः जानवरों को लाने के लिए चले जाया करते थे और इस तरह से इन्होंने किसी तरह से दसवीं तक की पढ़ाई पूरी कर ली।छठी कक्षा तक की पढ़ाई इन्होंने मध्य विद्यालय नगरी कला से की।जबकि,आठवीं तक की पढ़ाई आदर्श मध्य विद्यालय राजगंज से की और फिर दसवीं की पढ़ाई भागीरथ ब्रह्मचारी उच्च विद्यालय राजगंज से की।तत्पश्चात कॉलेज की पढ़ाई राजगंज इंटर कॉलेज राजगंज से की और फिर स्नातक की पढ़ाई डिग्री कॉलेज राजगंज से की। इस तरह से कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ते गए और वर्ष 2002 में नया प्राथमिक विद्यालय नायकडीह के प्रधान शिक्षक हुए।
शुरुआत के समय में जेपी महतो पेड़ के नीचे गांव के चबूतरे पर बच्चों को पढ़ाया करते थे।लेकिन इनके मन में गांव में स्कूल का होना यह विचार स्कूल कॉलेज के समय से ही रहा हैं और जब यह शिक्षक हुए और झारखंड सरकार की योजना के बारे में जानकारी मिली तो फिर इन्होंने सरकारी स्कूल को लेकर पहल शुरू कर दी।जिसमें टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो एवं ग्रामीण राजेंद्र प्रसाद महतो उर्फ रिंकू महतो,साधु प्रसाद महतो हुकुमचंद महतो,जगदीश,भानु महतो के योगदान से स्कूल का सपना सफल हुआ और जो बच्चे दूर दूर पढ़ने के लिए जाया करते थे।उनके लिए नजदीक में ही स्कूल की सुविधा हो गई।इस प्रकार बचपन में जेपी महतो द्वारा सोचा गया सपना सच हुआ, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी पहल हैं।