आए दिनों 1932 खतियान मांग को लेकर तरह तरह की खबरे आती रहती है जिसमे लोग नए नए अनूठे तरीके से खतियान की मांग को लोगो तक पहुंचा रहे है। विदेशों में रहने वाले झारखंड के लोग भी 1932 खतियान की मांग में अपना योगदान दे रहे। अब खतियान की मांग पेरिस तक पहुंच गई है। पेरिस में रहने वाले वैज्ञानिक सुनील महतो ने एफिल टावर के सामने खड़े होकर अपने हाथ में 1932 खतियान की मांग का पोस्टर लेकर शेयर किया है जिसे सोशल मीडिया में खूब शेयर किया जा रहा है।
पोस्टर में लिखा है : #Implement1932Khatiyan “झारखंडियों की पहचान 1932 खतियान” और “जय झारखंड – जय झारखंडी”.
नए नए तरीकों से हो रही 1932 खतियान की मांग
धनबाद के राजगंज में दूल्हे राजा बैलगाड़ी पर अपनी दुल्हनिया लेकर बोकारो के लिए रवाना हुए। शादी की खास बात यह थी कि कार्ड से लेकर बैलगाड़ी तक पर 1932 खतियान का जिक्र था. बैलगाड़ी के चारों ओर झारखंडियों की पहचान 1932 का खतियान, स्थानीय नीति बनाने की मांग अंकित थी. हर जगह 1932 खतियान की मांग अलग-अलग तरीके से की जा रही है.
झारखंड के कई युवा विवाह के निमंत्रण कार्ड पर इस स्लोगन को छपवा रहे हैं. पिछले दिनों आइपीएल मैच देखने के दौरान बोकारो जिला के नावाडीह गांव के युवा चेहरे पर पेंटिंग कर 1932 खतियान की मांग कर चुके हैं.
बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के पिलपिलो ग्राम निवासी नारायण महतो के घर हुई में हुई शादी की काफी चर्चा हो रही है. जो भी सुन रहे हैं, वे इसकी प्रशंसा कर रहे हैं. नारायण महतो की पुत्री कुमारी सुषमा की शादी डुमरी प्रखंड के कसुमा के लालमणि महतो के पुत्र शिवचरण कुमार के साथ शनिवार रात को हुई. दुल्हन बीए पास है और दूल्हा सेना में कार्यरत है. यह शादी दुल्हन की वेशभूषा को लेकर चर्चा के केंद्र में है. शादी के समारोह स्थल में जब दुल्हन पहुंची तो उसके माथे पर पीले रंग की पट्टी लगी थी. उस पट्टी में 1932 का खतियान लिखा था. इसे देखकर सभी चकित रह गये. दुल्हन के साथ कई बच्चियां भी थीं. सभी ने पीली पट्टी पहनी थी. इसे जिसने भी देखा वह देखता रह गया. शादी के बाद बाराती और शराती के बीच इस बात की खूब चर्चा हुई. उन्होंने 1932 के खतियान के इस अनोखे प्रचार के तरीके की प्रशंसा की।
झारखंड से बाहर रहने वाले लोग भी अपने तरीके से 1932 खतियान की मांग को लोगो तक पहुंचा रहे है। हाल ही में कर्नाटक में रहने वाले झारखंड के लोगो ने बैनर से 1932 खतियान की मांग की।
इन सबसे अलग विकास कुमार देश के प्रत्येक नागरिक तक झारखंडी युवाओं की मांग पहुंचाने के लिए साइकिल से भारत यात्रा पर निकले हैं.