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डिजिटल मेहमानी: खोरठा लेख

” सुखल फुटानी 4 “

घर में खाली बैठे थे तभी गुंगु माय ( बड़ी माँ/ बड़ी चाची) आई:-
” कुछो काम हो की आइज , तनी दीदी के घार जायके हय। साथ चालिहे। “
हम बोल दिए ” नाय कुछ काम नाय हो, ठीक हो चलबो। “
” ठीक हो तो रेड़ी भे जो जल्दी से जाय के साँझ तक वापस भी आवे के हव, आर हा बोहने (जीजाजी) के फोन केर दिही की हमनी आवे वाला हियो “

तुरंत बोहने को फोन लगाये आर बता दिए।
” बोहने हमनी आइज एबो तोर घर, हमें आर गुंगु माँय, थोड़े देर में निकलबो।?

तुरंत कपडा पहेन के रेड़ी हो गया, गुंगु माँय पहले से रेडी हलो, निकेल गेलीयो।
भेगना – भेगनी खातिर रास्ता में होटल से मिठाई आर दीदी के ससुर खातिर फल ले लिए।

1 घंटा में दीदी घर पहुच गए। बोहने के फ़ोन करे के फायदा दिखल,
दीदी सब कुछ पहले से रेडी केर के रखल थी,
तुरंत पानी,
तुरंत कोल्ड ड्रिंक ,
आर तुरंत नाश्ता ।

हम भी खुस की बोहने अच्छा इंतजाम करल है।

एक घंटा में खाना भी मिल गया,
मुर्गा , पूड़ी, सब्जी, भात, आचार , पापड़ सब।
येते जल्दी – जल्दी सब कुछ मिल गेलो तो मन खुश भय गेलो।
珞珞珞珞
कुछ देर हुआ रुक के वापस घर।

सब कुछ तो ठीके रहलो पर एक बात सोचे पड गया। आर अपन पुरानी याद में खोय गेलो।樂樂樂樂

आइज से 10-15 साल पहले जब आदमी के पास मोबाइल, मोटरसाइकिल नाय रहो हलय।
कही मेहमानी – रिस्तेदारी में जाय खातीर एक सप्ताह पहले से तैयारी सुरु भय जितलो।
जब हम मामू घर जाय वाला रहतलीयो तो,
“जायके दिने बिहाने से तैयारी शुरू भय जितलो, माँय बिहाने अरवा चार फुलेल देतलो,
फिर ढेकी से कुटतलो, फिर अरसा रोटी आर, पीठा बनेतलो।”

फिर सब झन तैयार होय के पैदल घर से निकेल के गाड़ी पकडेल जी टी रोड ‘तोपचांची’ तक आए जितलो।
फिर टेकर गाड़ी या टेम्पु गाड़ी में बैठ के  ‘लालबजार’ तक।
फिर हुवा से पैदल नानी घर।
नानी सब इतना खुश होती थी की की बतैबो, पूरा नानी घर के हरेक आदमी खुस।

जल्दी – जल्दी  में सब पानी फिर शरबत मिलतलो पिए ले। हम बच्चा सब भी बहुत खुस होय जा हलिये।
फिर नानी पूरा आस पास के घर में हमनीक लेगल अरसा रोटी बाटतलो, 
पूरा गाँव के पता चलो हलय की हमनी आइल हिये।
एक सप्ताह या 15 दिन रुक के ही वापस आओ हलिये।

तब रिस्तेदारी के असली मजा आओ हलय, केकरो घार जाये में या कोई हमनीक घर आओ हलय तो अलग रौनक हवो हलय।

धीरे – धीरे जमाना बदल्लो आर मेहमानी के तरीका भी बदैल गेलो।

” डिजिटल जमाना के साथ मेहमानी भी डिजिटल हो गया। “

“मेहमान आने आर, मेहमानी जावे की ख़ुशी, मोबाइल से पहले ही फोन केरे के कारन खत्म”

” होटल के मिठाई के कारन पकवान लावे, ले जावे के खुसी ख़तम “

” कोल्ड ड्रिंक्स के कारन ऊ हड़बड़ी से बनावल चीनी – नीबू के सरबत के मिठास खतम “

” गाड़ी के जमाना में मेहमान घर रात रुके के ख़ुशी खतम । “

” ई भाग दौड़ वाला जिंदगी में आदमी इतना व्यस्त हो गेल हय की रिस्तेदारी भी अब मतलब  के लिए करे लगा या फिर फोरमेल्टी के लिए। “

उमेश महतो
तोपचांची, धनबाद

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